कोई हसरत आज उम्मीद से है ,
जाने क्या गुल खिलाएगी !
एक उम्र मैं भटकता रहा
कभी मंजिल नज़र आएगी !!
बेसबब हसने का शौक जाने कहाँ लेके आया है
चेहरे पे चेहरा , चेहरे पे नकाब लगाया है !
कभी सूरत आइना देखती है
कभी आइना सूरत पे ठहर जाता है !
मैं कभी घुलता हूँ , और कभी बिखर जाता हूँ
हर दिन मैं कहीं कल से , छोटा नज़र आता हूँ
आज फेहरिस्त मैं नाकामी के सिवा कुछ भी नहीं
हर जदोजहद हिस्सा है , मुझसे जुदा कुछ भी नहीं
हर रोज़ नयी ज़ंग है , और नए दुश्मन हैं
जीत भी जाता हूँ , मगर रात भर थकन है
इस जुस्तजू मैं मेरे शोक कहाँ खो गए
फूल खिलते भी थे , अब बियांबा हो गए
अब तो एक बार नए कागज़ पे ग़ज़ल लिखना है
अब तो एक बार नए मौसम की फ़सल लिखना है
अब तो नया नाम पता, और नई शकल लिखना है
'राजा ' तेरे नाम, सुबह ओ शाम, आज और कल लिखना है
मुद्दतों बाद आज फिर ,
कोई हसरत उम्मीद से है!!
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Kya bat hai sir, bahoot khoob............
ReplyDeleteek sher aapko samrpit.........
takdir k khel se kabhi mayus nahi hote ,
zindagi me aise kabhi udas nahi hote,
haato ki lakiro par vishwas mat karna,
takdir to unki bhe hote hai jinke haath nahi hote.......
Meri hindi itni aachi nahi hein jo isko paad saako...so kindly request you to please add an "English Version" button--even the Google translate tool did not work correctly!! -L.P. Singh :-)
ReplyDeleteA good one,request to change the way you wrote 'Shok' it should be SHOUK
ReplyDeleteKhoobsoorat alfaaz...anek shubh kamnayen!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
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http://shama-kahanee.blogspot.com
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bahut khoob
ReplyDeleteachha laga............
badhaai !
narayan narayan
ReplyDeleteराजा जी आपका नाम आसमान की ऊंचाई पाए इस दुआ के साथ हमारी शुभकामनाएं। मेरे ब्लोग पर स्वागत है।
ReplyDeletefantastic, you are really a maestro :)
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