खुदा ने इतना दिया, फिर भी रो रहे हैं हम !!
बोझिल सी सांस लेकर, बोझिल सा मन लिए !
बारीक सुई मैं धागा पिरो रहे हैं हम !!
कभी तो सुबह होगी , जागेगें नींद से !
ये सोच ख्वाब कितने , यहाँ बो रहे हैं हम !!
ये चाँद आखरी है , ये रात आखरी है !
और तू न आएगा , अब सो रहे हैं हम !!
दुशवारियों का ये , कैसा सिलसिला है !
'राजा' क्यों भीड़ मैं, अब खो रहे हैं हम !!
Bahut khoob Sir! Pahli line hi itni zabardast likhi ki seedhe dil mein utar gayi.
ReplyDeleteRefreshing thoughts !!!
ReplyDeleteशानदार, काफी गहरी बात है और सरल भाषा में,यूँ की मज़ा आ गया
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