मैं शाख से लिपटा हुआ पत्ता नहीं कोई

मैं शाख से लिपटा हुआ पत्ता नहीं कोई !
के हर खिजां मैं तुमने, मुझको जुदा किया !!

मैं रास्ते पे मील के  पत्थर की  तरहा !
हर आने जाने वाले मैं, तुमको देखा किया !!

मुझे इल्म था,  तू बुत के सिवा कुछ भी नहीं !
बस  मुहोब्बत है क्या करुँ , तुझको पूजा किया !!   

इक निगाहे शौक ने मुझको दीवाना कर दिया !
तू ख्वाब है ये जान कर, तुझे ख्वाब मैं देखा किया !!