मैं शाख से लिपटा हुआ पत्ता नहीं कोई

मैं शाख से लिपटा हुआ पत्ता नहीं कोई !
के हर खिजां मैं तुमने, मुझको जुदा किया !!

मैं रास्ते पे मील के  पत्थर की  तरहा !
हर आने जाने वाले मैं, तुमको देखा किया !!

मुझे इल्म था,  तू बुत के सिवा कुछ भी नहीं !
बस  मुहोब्बत है क्या करुँ , तुझको पूजा किया !!   

इक निगाहे शौक ने मुझको दीवाना कर दिया !
तू ख्वाब है ये जान कर, तुझे ख्वाब मैं देखा किया !!

3 comments:

  1. मस्त लिखा है आपने

    ReplyDelete
  2. बुत से की मुहब्बत ...निगाहें शौक ने दीवाना किया ..
    बहुत खूबसूरत गीत ..ग़ज़ल ..!!

    ReplyDelete
  3. Amazing. That inspires me to post couple of my poems to a blog.

    ReplyDelete