ट्रेन मे AC का सफ़र

ट्रेन  मे  AC  का  सफ़र
बहुत  सूखा  सूखा सा  है !!
सब  अपनी  ही   धुन  मैं
अपने  अहम्  के  साथ
चार  कोने  मे  , चार  मुसाफ़िर !
अंजाम -ए -सफ़र  तक
अजनबी  रहकर , गुज़र  जाते  है !!

वहीँ , जनरल   बोगी का सफ़र,
इक मिसाल है, छोटे से सफ़र को कैसे   
इक अलग मुकाम तक ले जाना !!
यहाँ सफ़र के हर लम्हे मैं
किसी न किसी से गुफ्तगू
दीन दुनिया के बातें !!
कोई अपने बिटिया के ब्याह के लिए जा रहा है
तो कोई अपने नई नौकरी के लिए
किसी को अपनी माँ से मिलने जाना है
कोई घर से लड़ कर आया है
सबकी अपनी  अपनी कहानी है
अचानक ये ट्रेन इक कुनबा लगने लगता है
सब अपनी राम कहानी लिए
इक दुसरे से जी हल्का करते हुए !
कितना अपनापन बाँटते हुए
ये सफ़र, गुज़र जाने को है

कभी मैं सोचता हूँ
आम आदमी जितना छोटा होता है
दिल से उतना ही बड़ा होता है !
आज हम शायद, AC मे, तो बड़े आदमी हो गए हैं
दिल कहीं छोटा नज़र आने लगा है !

मुझको फिर से वोही जनरल मैं सफ़र करना है
आम आदमी से कोई ख़ास बात सीखना है
डरता हूँ कहीं छोटा न हो जाऊं
दिल से, दिमाग से...