तुम जो छूलो तो पत्थर पे असर हो जाए !
तुम जो हो साथ , तो आसान सफ़र हो जाए !!
तू नहीं जानती , तेरे होने का जलवा क्या है !
सुबह से शाम , शाम से सहर हो जाए !!
बाद तेरे क्या बताऊँ , हाल बुरा होता है !
जी तो ये चाहे , के जान तेरी नज़र हो जाये !!
तेरे दीदार का कुछ ऐसा असर होता है !
शेरों को परवाज़ , लब्जों के पर हो जाए !!
'राजा' तेरी दीवानगी का कहाँ कोई सानी है !
तुझपे भी मेरी मुहोबत का असर हो जाये !!
(*सानी = comparison )
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bahut hi umda, aapki shayri seedhi dil mein utarti hai....
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