मैं इक चिराग जला कर बैठा हूँ !
दर -ओ -दीवार सजा कर बैठा हूँ !!
वोह आयेगा , बस मैं ये जानता हूँ !
अपनी नज़रें बिछा कर बैठा हूँ !!
ख्वाब है , तिलिस्म है और तू है !
मैं दिल किससे लगा कर बैठा हूँ !!
अब तो जो हो , बस तुझको पाना है !
मैं दिल से अब दुआ कर बैठा हूँ !!
उसकी नज़रों से मुहोब्बत बहने लगी !
एक बुत को खुदा कर बैठा हूँ !!
कोई देख न ले मेरी मुहोब्बत 'राजा' !
अपनी पलकें झुका कर बैठा हूँ !!
उसके हसीं लबों को चूम लिया !
'राजा' आज मैं क्या कर बैठा हूँ !!
तुम जो छूलो तो पत्थर पे असर हो जाए !
तुम जो छूलो तो पत्थर पे असर हो जाए !
तुम जो हो साथ , तो आसान सफ़र हो जाए !!
तू नहीं जानती , तेरे होने का जलवा क्या है !
सुबह से शाम , शाम से सहर हो जाए !!
बाद तेरे क्या बताऊँ , हाल बुरा होता है !
जी तो ये चाहे , के जान तेरी नज़र हो जाये !!
तेरे दीदार का कुछ ऐसा असर होता है !
शेरों को परवाज़ , लब्जों के पर हो जाए !!
'राजा' तेरी दीवानगी का कहाँ कोई सानी है !
तुझपे भी मेरी मुहोबत का असर हो जाये !!
(*सानी = comparison )
तुम जो हो साथ , तो आसान सफ़र हो जाए !!
तू नहीं जानती , तेरे होने का जलवा क्या है !
सुबह से शाम , शाम से सहर हो जाए !!
बाद तेरे क्या बताऊँ , हाल बुरा होता है !
जी तो ये चाहे , के जान तेरी नज़र हो जाये !!
तेरे दीदार का कुछ ऐसा असर होता है !
शेरों को परवाज़ , लब्जों के पर हो जाए !!
'राजा' तेरी दीवानगी का कहाँ कोई सानी है !
तुझपे भी मेरी मुहोबत का असर हो जाये !!
(*सानी = comparison )
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