घर
बड़े
होते
गए
, और
तंग
दिल
हो
गए
!
रास्ते अंसा हुए हैं , या के मुश्किल हो गए !!
ख्वाब था , जिसकी तरफ , सब छोड़ के दौड़े मगर !
कब न जाने दौड़ मैं , हम भी शामिल हो गए !!
इक उम्र हम उलझा किये , मुक्तसर सी बात पर !
खो गई जब बातें सारी , खुद को हासिल हो गए !!
खो दिया है जबसे 'राजा', इस जहाँ के इल्म को !
खुश रहे हैं हम तो इतने , जब से जाहिल हो गए !!
-- राजा
रास्ते अंसा हुए हैं , या के मुश्किल हो गए !!
ख्वाब था , जिसकी तरफ , सब छोड़ के दौड़े मगर !
कब न जाने दौड़ मैं , हम भी शामिल हो गए !!
इक उम्र हम उलझा किये , मुक्तसर सी बात पर !
खो गई जब बातें सारी , खुद को हासिल हो गए !!
खो दिया है जबसे 'राजा', इस जहाँ के इल्म को !
खुश रहे हैं हम तो इतने , जब से जाहिल हो गए !!
-- राजा